क्या यह फैसला न्याय की जीत है या आरोपियों की जीत?

एसीजेएम प्रथम चौधरी संदीप सिंह की अदालत ने 34 वर्ष बाद साइकिल चोर के आरोपी को दोष मुक्त करार दिया। मामला संतकबीरनगर के महुली थाने का है, जहां 09.अप्रैल 1990 को दशरथ प्रसाद ने केस दर्ज कराया था।

घटना का विवरण

  • तारीख और समय: 09.अप्रैल 1990, दिन के लगभग दस बजे
  • स्थान: महुली थाना, संतकबीरनगर
  • प्रतिभागी: दशरथ प्रसाद, भरतनाथ यादव, गंगाचरन, रमेशचन्द्र, लालधर, जनार्दन, चंद्रशेखर, और शंकर ठठेर

मामले का विवरण

अभियोजन अधिकारी ने बताया कि दशरथ प्रसाद ने केस दर्ज कराया था कि उनके विद्यालय में एक साइकिल चोर छात्र भरतनाथ यादव की साइकिल लेकर भाग रहा था। छात्र ने साइकिल ले जाते देख कर शोर मचाया। विद्यालय के छात्र गंगाचरन, रमेशचन्द्र, लालधर व अन्य लड़कों के सहयोग से घेर कर साइकिल के साथ पकड़ लिया।

अदालत का फैसला

दौरान विवेचना में अभियुक्त जनार्दन, चंद्रशेखर और शंकर ठठेर के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल हुआ। दौरान विचारण अभियुक्त चंद्रशेखर की पत्रावली अलग है। गवाहों के बयान और सबूत के आधार पर चन्द्रशेखर एवं शंकर ठठेरा के विरूद्ध लगाये गये आरोप से संदेह के आधार पर दोषमुक्त किए जाने का आदेश दिया।

यह मामला 34 साल पुराना है, लेकिन अदालत ने आखिरकार न्याय किया है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक संदेश है जो न्याय प्रणाली में विश्वास करते हैं।

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