निखिल यादव की पुस्तक “अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता” का विमोचन

चाणक्यपुरी में स्वामी विवेकानन्द पर रविवार, 24 सितम्बर 2023 को हरियाणा राज्य अतिथि गृह, एक पुस्तक जिसका शीर्षक है “अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता” का विमोचन कार्यक्रम पूरा किया गया। यह पुस्तक श्री निखिल यादव, प्रान्त युवा प्रमुख, विवेकानन्द केन्द्र, उत्तर प्रान्त के द्वारा लिखी गयी है। वह पीएचडी शोधार्थी है , जो विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में किए है।

इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द के जीवन और सन्देश के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। इस विमोचन कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू और नई दिल्ली के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के कई विद्वानों, प्राध्यापकों, छात्रों और संकाय सदस्यों ने इसमें भाग लिया। अपने इस शीर्षक “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” के अनुसार यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के कार्य और उनके विचारों पर आधारित है, जो आधुनिक भारत के लिए अमृत कल में मार्गदर्शन का कार्य करेगी।

यह पुस्तक युवाओं के जीवन में स्वामी जी की प्रासंगिकता पर भी डालेगी प्रकाश :-

इस पुस्तक के माध्यम से जहाँ एक ओर अपने पाठकों को “स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत की परिकल्पना से अवगत करवाएगी तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं के जीवन में स्वामी जी की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डालेगी। उनके “विश्व बंधुत्व के संदेश” और महामारी के दौरान लिखे गए ‘प्लेग मेनिफेस्टो” जैसे महत्वपूर्ण विषयों की उपयुक्तता विषय सम्मिलित की गई है। इस पुस्तक में स्वामी जी के जीवन से जुड़े हुए अनेकों रोचक प्रसंग और जानकारियों को शामिल किया गया है, जो हमे उनके और बारे में सोचने से और ज्यादा करीब ले जाती है तथा उनसे जुड़ी हुई मन में उत्पन्न अनेकों भ्रांतियों का निवारण करती है।

स्वामी जी के जीवन काल के दौरान और बाद में अनेकों महान विभूतियों पर उनका प्रभाव को दर्शाया गया है जिनमें बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, भगिनी निवेदिता , नेताजी सुभाष चंद्र बोस और श्री नरेंद्र मोदी जैसे महापुरुष शामिल है।

इसके अतरिक्त “योग” और “भारत की विविधता में एकता” जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देकर लिखा गया है जिसमें पाठकों को स्वामी जी के योगदान के साथ–साथ इन विषयों से जुड़ी हुई भ्रान्तियों का भी उत्तर देने का पूर्ण प्रयत्न किया गया है। इसके अंतिम अध्याय G-20 देशों में स्वामी विवेकानंद जी के वैचारिक पदचिन्ह के विषय पर भी है।

विवेकानंद जी के बारे में उत्पन्न हुई अनेक जिज्ञासाओं और प्रश्नों पर भी डाला गया है प्रकाश :-

इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र, दर्शन और उनके प्रभाव को आम जनमानस तक आधुनिक सन्दर्भ के साथ प्रस्तुत करने का है जो अमृत काल में एक ऊर्जा के स्त्रोत के तौर पर कार्य करेगी। इस पुस्तक के जरिए 21वीं शताब्दी के पहले 2 दशकों में स्वामी जी के बारे में उत्पन्न हुई विभिन्न जिज्ञासाओं और प्रश्नों पर भी शोध पूर्ण प्रकाश डाला गया है।

अन्तोत्वगत्वा यह पुस्तक अमृत कल में आने वाली अनेकों चुनौतियों को स्वामी विवेकानंद की दृष्टि से समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करेगी, जो की भारत की नयी पीढ़ियों को नवीन उच्चाईया प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। स्वामी विवेकानंद के जीवन का केंद्र बिंदु भारत था इसलिए इस पुस्तक के माध्यम से हम भारतीय होने पर और गर्व करेंगे।

पुस्तक का नाम – “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता*

लेखक – निखिल यादव

शुल्क – 220 पेज – 15

ISBN – 978-93-95396-52-3

लेखक परिचय – निखिल यादव,युवा प्रमुख, विवेकानंद केंद्र , उत्तर प्रान्त पीएचडी शोधार्थी , विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

Bindesh Yadav
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