बस्ती।
मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा इकाई ओपेक अस्पताल कैली के बाल रोग विभाग में भर्ती एक चार वर्षीय बच्ची में मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस की पुष्टि हुई है। यह पुष्टि लेप्टोस्पाइरा आईजीएम एलिसा जांच द्वारा की गई। बच्ची को दस दिनों से बुखार, शरीर में सूजन, चक्कते और झटके आने की समस्या थी, जिसके बाद उसे बाल रोग विभाग की ओपीडी में लाया गया था।
विभागाध्यक्ष डॉ. अल्का शुक्ला ने बच्ची की गंभीर हालत देखते हुए उसे तुरंत पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराया। प्रारंभिक जांच में रीढ़ की हड्डी के पानी के नमूने से मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस की पुष्टि की गई। इस गंभीर बीमारी के कारण बच्ची के शरीर में चक्कते और तेज दर्द हो रहा था।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अद्विप यादव ने बताया कि बच्ची की हालत बेहद नाजुक थी, और दिमागी बुखार के चलते उसकी हालत और बिगड़ रही थी। पीआईसीयू में इलाज के दौरान बच्ची के शरीर में दिखाई दिए चक्कते मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस का संकेत थे, जो एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जीवाणु संक्रमण है।
मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस: एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक संक्रमण
डॉ. अल्का शुक्ला ने जानकारी दी कि मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस एक रेयर केस है, जो निसेरिया मेनिंगिटिडिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्लियों में खतरनाक सूजन पैदा करता है।
यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों में इसका प्रकोप ज्यादा देखा जाता है। विशेष रूप से एक साल से कम उम्र के बच्चों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।
हालांकि, गहन उपचार के बाद बच्ची की हालत अब स्थिर है और वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज और सही देखभाल से यह संक्रमण नियंत्रित हो सकता है।
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