शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा: परिवार और संगीत जगत के लोग देंगे आखिरी विदाई ?

बिहार और उत्तर भारत की लोक संगीत की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली गायिका शारदा सिन्हा का हाल ही में मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का कैंसर) के कारण निधन हो गया। उनके असामयिक निधन से पूरे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बुधवार को दोपहर 12 बजे के बाद उनका पार्थिव शरीर पटना में उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जहां उनके परिवार, प्रशंसक और संगीत जगत से जुड़े लोग अंतिम विदाई देने के लिए एकत्रित होंगे। यह दिन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि सभी चाहने वालों के लिए भावनाओं से भरा रहेगा, क्योंकि वे अपनी प्यारी गायिका को हमेशा के लिए विदा करेंगे।

बिहार की शान: लोक संगीत का एक अमूल्य सितारा

शारदा सिन्हा का नाम भारत के लोक संगीत में सदैव सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा। बिहार की माटी से जुड़े गीतों को उन्होंने इतनी मिठास और गहराई से गाया कि उनकी आवाज़ हर घर तक पहुंची। चाहे वह छठ के गीत हों, होली के रंगों से भरे गीत हों, या मैथिली, भोजपुरी, और हिंदी के अन्य लोकगीत, शारदा जी ने अपने अनोखे अंदाज़ में इन्हें प्रस्तुत किया। उनका संगीत सीधे दिल को छूने वाला था और उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया।

उनके निधन के बाद से उनकी आवाज़ और उनकी विरासत को संजोने के लिए उनके प्रशंसकों का जमावड़ा पटना में देखने को मिलेगा। यह उनके प्रति उनकी दी गई श्रद्धांजलि होगी।

मल्टीपल मायलोमा: शारदा सिन्हा की जान लेने वाली गंभीर बीमारी

शारदा सिन्हा की मृत्यु का कारण बनी मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इस बीमारी में असामान्य प्लाज्मा कोशिकाएं हड्डियों और रक्त में जमा हो जाती हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। इस बीमारी के कारण हड्डियों में दर्द, थकान, और इन्फेक्शन जैसे लक्षण सामने आते हैं। हालांकि इसके इलाज के लिए कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जैसी चिकित्सा उपलब्ध हैं, फिर भी पूरी तरह से ठीक होना हमेशा संभव नहीं होता।

उनकी इस बीमारी के खिलाफ जंग ने उनके परिवार और प्रशंसकों को असहाय कर दिया, लेकिन उन्होंने अंतिम समय तक अपनी मर्जी और मजबूती दिखाई।

अंतिम विदाई: परिवार और इंडस्ट्री का प्यार और सम्मान

पटना में उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके प्रशंसकों का बड़ा हुजूम उमड़ने की संभावना है। उनके परिवार ने सभी चाहने वालों से अपील की है कि वे उनके जीवन और संगीत के लिए प्रार्थना करें और शांति बनाए रखें। इस आयोजन में उनके साथी संगीतकार, अभिनेता और बिहार के प्रसिद्ध चेहरे भी उन्हें विदा करने के लिए उपस्थित रहेंगे।

उनके परिवार के सदस्यों ने भी भावुक होकर बताया कि शारदा जी ने जिस तरह से अपने जीवन को संगीत के प्रति समर्पित किया, वह हम सभी के लिए प्रेरणा है। उनके गीतों और आवाज़ में उनकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी। उनके परिवार, खासकर उनके बच्चे, इस दुःख भरे समय में सभी से प्रार्थना और समर्थन की अपील कर रहे हैं।

शारदा सिन्हा की अमिट विरासत

शारदा सिन्हा के निधन के बाद भी उनके गाए हुए गीत और उनके द्वारा छोड़ी गई लोक संगीत की विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनकी आवाज़ से जुड़े जो भी यादें हैं, वे बिहार और पूरे उत्तर भारत के लोक जीवन में गूंजती रहेंगी।

इस दुखद अवसर पर, उनके चाहने वाले उन्हें एक सच्चे कलाकार के रूप में याद करेंगे, जो अपनी आत्मा से गाते थे और जिनका संगीत जीवन के हर पल में प्रेरणा और उत्साह भरता था।

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