अनूपपुर में बिशाहू-रमेश के वजाय बीजेपी-कांग्रेस के बीच है चुनावी मुकाबला

हनुमान शरण पूरे मध्यप्रदेश के साथ ही अनूपपुर विधानसभा में भी चहुँ ओर चुनावी धूम मची हुई है, इस विधानसभा में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी व कांग्रेस के बीच है, जहाँ बीजेपी बिशाहू लाल सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने रमेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है, दोनों उम्मीदवार बड़े जोर- शोर से अपना-अपना प्रचार- प्रसार कर रहे हैं, चुनावी जनसभा तो की ही जा रही है, मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क भी स्थापित किये जा रहे हैं, इस कार्य में रमेश सिंह अव्वल देखे जा रहे हैं, जबकि बिशाहू लाल सिंह अपनी वृद्धावस्था के कारण व्यक्तिगत जनसंपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

कौन जीतेगा व कौन हारेगा? :-

दोनों ही उम्मीदवार मजबूत हैं, इसलिए कौन जीतेगा व कौन हारेगा? इस संबंध में विश्वास के साथ कोई भी कुछ नहीं कह पा रहा है, नया कैंडिडेट होने के कारण रमेश सिंह को लेकर आम जन में ज्यादा आकर्षण देखा जा रहा है, वहीं जहाँ तक बिशाहू लाल सिंह का संबंध है, उनको लेकर क्षेत्र में कोई ज्यादा विरोध नजर नहीं आ रहा है, दोनों ही नेता जीत के लिए जीतोड़ जोर आजमाईश करते देखे जा रहे हैं, बीजेपी- कांग्रेस के कार्यकर्ता भी अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए जिस तरह समर्पित भावना से युद्ध स्तर पर प्रचार अभियान में जुट गये हैं, उससे यही पता चलता है कि चुनाव अब बिशाहू लाल सिंह व रमेश सिंह के बीच न रहकर बीजेपी कांग्रेस के मध्य हो गया है।

महिलाओं के वोट पर है अपरिमित भरोसा :-

बीजेपी को उसकी लाड़ली बहना योजना के कारण महिलाओं के वोट पर अपरिमित भरोसा है, महिलायें जिस तरह प्रतिमाह 1000 रुपये से लाभान्वित हो रही हैं, उससे इस बात पर तनिक भी संदेह करना अनुचित होगा कि बीजेपी को महिलाओं का वोट नहीं मिलेगा, यह योजना अनूपपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के वोट को प्रभावित करेगा, संभवतः कुछ ही महिलायें ऐसी हो सकती हैं, जो लाडली बहना योजना के बाद भी बीजेपी को वोट न करने की मंशा न रखती हों, अभी तक जितने भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आये हैं और जिस भी सर्वे रिपोर्ट ने बीजेपी के सत्ता में लौटने की बात कही है, उसने सत्ता वापसी में बीजेपी की लाड़ली बहना की भूमिका को ही प्रमुख माना है।

अनूपपुर में बिशाहू लाल सिंह जिस तरह “विकास पुरुष” की अपनी छवि गढ़ रखे हैं, उसे देखते हुए उन्हें हराना रमेश सिंह के लिए उतना आसान नहीं होगा, जितना कुछ लोग मान व समझ रहे हैं, फिलहाल, चुनाव पूर्व अटकलों- कयासों का दौर जारी है, जिन पर चुनाव बाद ही विराम लग सकेगा, फिलवक्त सभी चुनाव व तदंतर उसके नतीजे के इंतजार में रहेंगे।

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