बस्ती। बृहस्पतिवार की रात महिला अस्पताल के माथे पर कलंक लगनेे से बाल-बाल बच गया। रात दस बजे के बाद वार्डों में ऐसी अफरा-तफरी मची कि कुछ घंटों के लिए वहां मौजूद हर किसी की बेचैनी बढ़ गई। दृश्य ऐसा कि चिकित्सक, स्टाॅफ नर्स, प्रशासनिक अफसर या तीमारदार सभी के होश फाख्ता हो गए। सरकारी आपूर्ति की एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगने के कुछ ही देर बाद प्राइवेट से लेकर जनरल वार्ड तक भर्ती प्रसूताएं तेज ठंड-बुखार से कराहने लगीं। इसी के बाद चीख-पुकार पूरे अस्पताल में मच गई
डीएम के निर्देश पर रात में ही औषधि निरीक्षक अरविंद कुमार को बुलाया गया। उन्होंने अस्पताल में उपलब्ध सरकारी आपूर्ति की सेफ्रट्रिएक्जोन एंटीबायोटिक इंजेक्शन की सैंपलिंग की। शुक्रवार की सुबह इसे लेकर वाराणसी प्रयोगशाला जांच कराने रवाना हो गए।
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स्थिति संभालने के लिए वहां मौजूद डॉक्टर और स्टाॅफ नर्स दौड़े, लेकिन तीमारदारों ने दोबारा इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया। इससे मरीजों की हालत और बिगड़ने लगी। आनन-फानन सीएमओ डॉ. आरएस दुबे, सीएमएस डॉ. एके वर्मा समेत चिकित्सकों की पूरी टीम पहुंच गई। फिर भी तीमारदारों का भरोसा अस्पताल की दवा से उठ गया। लोग डॉक्टरों की टीम को मरीज के पास जाने से मना करते रहे।
बाद में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाई गई। तब जाकर चिकित्सकों ने बचाव कार्य शुरू किया। एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगने के बाद प्रभावित 55 प्रसूताओं को एविल, डेक्सोना का डोज दिया जाने लगा। इसके बाद हालत में सुधार होने लगा। इस बीच डीएम रवीश गुप्ता भी अधिकारियों के साथ रात दो बजे तक मौजूद रहे। रात में ही पूरे घटनाक्रम की जांच-पड़ताल शुरू कर दी गई। अफसर इंजेक्शन की गुणवत्ता या स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही पर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। उनका तर्क है कि जांच के बाद ही स्थिति कुछ स्पष्ट हो सकेगी।
ऐसे बिगड़ी प्रसूताओं की हालत
रात 9:30 बजे के बाद अस्पताल में भर्ती सीजर से डिलीवरी कराने वालीं प्रसूताओं को बेड पर सेफ्रट्रिएक्जोन इंजेक्शन का डोज दिया गया। इसी के कुछ देर बाद इन प्रसूताओं को ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ने लगा। देखते ही देखते अधिकतर प्रसूताओं में यह समस्या आ गई। कंपन और बुखार से बेड पर ही प्रसूताएं कराहने लगीं। परिजनों में चीख-पुकार मच गई। शोर मचा कि दवा रिएक्शन कर गई है। एक-एक कर यहां भर्ती 70 में से 55 प्रसूताएं प्रभावित हो गईं। तीमारदार बाहर निकलकर हंगामा करने लगे। स्थिति बेकाबू होते देख उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई। इसके बाद डीएम, एडीएम, सीएमओ, सीएमएस के अलावा चिकित्सीय टीम और बड़ी संख्या में पुलिस बल पहुंची।
इनकी थी ड्यूटी
जिस समय मरीजों की हालत बिगड़ी उस समय महिला अस्पताल में रात्रि कालीन ड्यूटी पर डॉ. सुबास, स्टाॅफ नर्स मंजू यादव और नीता मौजूद रहीं। स्टाॅफ नर्स के इंजेक्शन लगाकर लौटने के बाद मरीजों की हालत बिगड़ने पर तीमारदार भड़क उठे। वे दोबारा इंजेक्शन लगाने से मना करने लगे। बाद में अधिकारियों के समझाने पर चिकित्सीय टीम के बचाव कार्य करने पर लोग राजी हुए।
डोज के अनुसार दिया गया था इंजेक्शन
ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ. सुबास ने बताया कि मरीजों को सेफ्रट्रिएक्जोन इंजेक्शन डोज के अनुसार दिया गया था। पाउडर फार्म में यह इंजेक्शन आता है। एक बार में एक ग्राम का डोज तैयार करके दिया जाता है। इस हिसाब से मरीजों को डोज दिलाया गया।
प्रसूताएं बोलीं- अचानक खराब हुई हालत
प्राइवेट वार्ड संख्या दो में भर्ती प्रसूता आकांक्षा पाठक ने बताया कि वह ऑपरेशन के बाद 18 जुलाई से भर्ती है। रात में करीब 9:30 बजे उन्हें इंजेक्शन लगाया गया। इसी के कुछ देर बाद उनकी हालत बिगड़ गई। सिर दर्द और ठंड लगने के साथ तेज बुखार चढ़ आया। लगभग दो घंटे तक परेशान रही। बाद में चिकित्सकों ने जब दोबारा दवा दी तब स्थिति में सुधार आई। वहीं प्राइवेट वार्ड पांच में भर्ती गायत्री ने बताया कि उन्हें भी इंजेक्शन लगने के बाद यह समस्या हुई। दोबारा इंजेक्शन लगने पर फायदा हुआ। जनरल वार्ड में कई प्रसूताएं भर्ती की गई हैं। यहां जब मरीजों की हालत बिगड़नी शुरू हुई तो कोहराम मच गया। वेड संख्या 4 पर भर्ती मरीज ज्योति ने बताया कि उन्हें इंजेक्शन लगने के बाद ठंड के साथ बुखार आ गया था। वंदना और अंजुम ने बताया कि एक साथ कई मरीज की तबीयत बिगड़ने से बेड पर ही उछलने लगे। हम सभी लोग घबरा गए थे। ईश्वर ने रहम की।
सरकारी वेयरहाउस से हुई थी आपूर्ति
महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके वर्मा ने बताया कि सेफ्रट्रिएक्जोन एंटीबायोटिक इंजेक्शन की आपूर्ति अस्पताल में सरकारी वेयरहाउस से की गई थी। इसका उपयोग लगातार किया गया, कोई शिकायत नहीं मिली। फिलहाल संबंधित बैच के इंजेक्शन पर बैन लगा दी गई है। सभी पहलुओं पर जांच शुरू करा दी गई है। सीएमओ डॉ. आरएस दुबे से संपर्क करने के प्रयास किए गए तो उन्होंने फोन नहीं रिसीव किया।
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