बस्ती, 24 दिसंबर। गृहमंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. अंबेडकर का अपमान किए जाने की घटना के बाद देशभर में उठे विरोध प्रदर्शनों की आग अभी ठंडी नहीं हुई थी कि बस्ती में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अपमान का एक और मामला सामने आया। गांधीजी की प्रतिमा कूड़े के ढेर में पाए जाने की घटना से कांग्रेस कार्यकर्ता भड़क उठे और तत्काल धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
पुराने भवन को ध्वस्त करने के दौरान हुई चूक
बस्ती जनपद मुख्यालय पर स्थित जिला पंचायत भवन को ध्वस्त कर नया भवन बनाने का कार्य जारी है। पुराने भवन के सेंट्रल हॉल में गांधीजी की प्रतिमा स्थापित थी। भवन ध्वस्त करने से पहले फर्नीचर, अभिलेख, और अन्य सामान को सुरक्षित स्थान पर रखा गया, लेकिन गांधीजी की प्रतिमा को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया।
कांग्रेस का कड़ा विरोध और धरना प्रदर्शन

घटना की जानकारी मिलते ही कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष गिरजेश पाल और अन्य कार्यकर्ताओं ने जिला पंचायत कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। गिरजेश पाल ने कहा, “महापुरुषों का सुनियोजित अपमान किया जा रहा है। पहले राज्यसभा में अमित शाह द्वारा डॉ. अंबेडकर का अपमान और अब बस्ती में गांधीजी का। कांग्रेस इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।”
जिला पंचायत अधिकारी का हस्तक्षेप
मामले को बढ़ता देख जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी विजय प्रकाश वर्मा ने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने माफी मांगते हुए धरना समाप्त करने का आग्रह किया। अधिकारियों ने ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ।
ठेकेदार को स्पष्टीकरण के लिए नोटिस

जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने ठेकेदार शिवप्रसाद को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस में कहा गया कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को उचित स्थान पर सम्मानपूर्वक रखने के निर्देश दिए गए थे। किन परिस्थितियों में यह प्रतिमा कूड़े के ढेर पर पहुंची, इसका जवाब मांगा गया है।
कार्यवाही पर संशय
घटना में शामिल ठेकेदार का संबंध भाजपा नेता और जिला पंचायत अध्यक्ष के परिवार से बताया जा रहा है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि कार्रवाई किस स्तर तक की जाएगी।
विरोध प्रदर्शन में शामिल नेता
धरना प्रदर्शन में अतीउल्लाह सिद्दीकी, जिला पंचायत सदस्य अनिल कुमार भारती, अवधेश सिंह, रामधीरज चौधरी सहित कई कांग्रेस नेता मौजूद रहे। सभी ने ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
इस घटना ने महात्मा गांधी और अन्य महापुरुषों के सम्मान के मुद्दे पर राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है।