प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु संगम नगरी में जुटने लगे हैं। इस बीच, हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़कर न जाने और पूरे महाकुंभ तक यहीं रहने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म की सेवा करना ही अब मेरा जीवन का मुख्य उद्देश्य है।”
हर्षा ने कहा कि वह सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करेंगी। उन्होंने महाकुंभ में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने और सनातन संस्कृति को सशक्त बनाने का प्रण लिया है।
महंत रवींद्र पुरी से मुलाकात
हर्षा रिछारिया ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी से मुलाकात कर उनके प्रति आभार प्रकट किया। महंत रवींद्र पुरी ने उन्हें अपनी बेटी की तरह मानते हुए आशीर्वाद दिया। इस पर हर्षा ने कहा, “महंत रवींद्र पुरी ने मुझे अपनी बेटी बताया है। यह मेरे लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है।”
सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होगा उद्देश्य

हर्षा ने आगे कहा कि वह महाकुंभ के माध्यम से सनातन धर्म के मूल्यों और विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म के सिद्धांत केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें मानवता, समरसता और कल्याण का गहन संदेश निहित है।
महाकुंभ की भूमिका
महाकुंभ एक ऐसा मंच है, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। हर्षा रिछारिया ने कहा कि इस अद्भुत आयोजन में शामिल होकर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का यह अवसर उनके लिए एक सौभाग्य है। उन्होंने कहा, “महाकुंभ के माध्यम से न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा को सहेजने और आगे बढ़ाने का अवसर भी है।”
हर्षा के इस समर्पण और दृढ़ संकल्प ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं और धार्मिक संगठनों के बीच उत्साह और प्रेरणा का संचार किया है।