संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र सौंपने की अपील की !

संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के देशव्यापी आह्वान के तहत भारतीय किसान यूनियन, उत्तर प्रदेश किसान सभा, खेत मजदूर यूनियन और जै किसान आंदोलन के नेताओं ने सांसद राम प्रसाद चौधरी से मुलाकात कर प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में स्थगित किए गए तीनों कृषि कानूनों को अप्रत्यक्ष रूप से लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कृषि बाजारों के मसौदे का विरोध दर्ज किया गया।

स्थगित कृषि कानूनों का पुनर्जन्म:


भारतीय किसान यूनियन के नेता दीवान चंद्र चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल प्रोड्यूसर्स फेडरेशन मार्केट (एनपीएफएम) के मसौदे को ठुकराते हुए इसे स्थगित तीनों कृषि कानूनों का पुनर्जन्म बताया। उन्होंने कहा कि यह मसौदा किसानों के हितों के खिलाफ है और इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

समझौते का उल्लंघन:


जै किसान आंदोलन के नेता सुधाकर शाही ने 9 दिसंबर 2021 के समझौते का जिक्र करते हुए बताया कि उसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि बिना किसान संगठनों की सहमति के नया बिजली कानून नहीं लाया जाएगा। बावजूद इसके, स्मार्ट मीटर और बिजली का निजीकरण किया जा रहा है, जो कि उस समझौते का खुला उल्लंघन है।

एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग


किसान सभा के नेता देव नारायण मौर्य ने सी2 फार्मूले के तहत फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि यह किसान की आय सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी है।

गणतंत्र दिवस पर किसान रैली का ऐलान:
एसकेएम बस्ती के सह संयोजक कामरेड के के तिवारी ने कहा कि अगला चरण गणतंत्र दिवस पर होगा। 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर और वाहन रैली निकालकर गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। यह रैली किसानों की एकता और उनके अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक होगी।

सम्मिलित हुए नेता और कार्यकर्ता


कार्यक्रम में प्रमुख रूप से के के तिवारी, दीवान चंद्र चौधरी, सुधाकर शाही, नरसिंह भारद्वाज, गौरी शंकर चौधरी, सत्यराम, राम दयाल, मुन्नी देवी, त्रिवेणी चौधरी, शिव चरण निषाद, राम महीपत चौधरी, प्रेम चंद्र पांडे, देव नारायण मौर्य, राम जी, प्रकाश चौधरी, शकुंतला, मोहित, रामू जैसवाल, दिवाकर, राम शंकर, और राम भजन चौधरी सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल रहे।

यह आयोजन किसानों के संघर्ष की ताकत को दर्शाने और सरकार को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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