जाने क्यों मान्य जाता है महाशिवरात्रि का पर्व?

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि इस दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं और रात्रि जागरण कर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प – सुबह जल्दी उठकर गंगा जल या पवित्र जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. शिवलिंग अभिषेक – दूध, जल, शहद, दही, घी और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  3. रुद्राभिषेक – मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
  4. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन – पूरी रात जागकर भगवान शिव के भजन गाएं और उनकी आराधना करें।
  5. दर्शन और प्रसाद वितरण – अगले दिन शिव जी की आरती कर प्रसाद वितरित करें और व्रत का पारण करें।

महाशिवरात्रि पर शिव भक्तों की श्रद्धा

इस दिन काशी, उज्जैन, सोमनाथ, केदारनाथ समेत सभी प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हरिद्वार और वाराणसी में गंगा स्नान और शिवरात्रि महोत्सव की धूम देखने लायक होती है।

शिवरात्रि व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व

महाशिवरात्रि का व्रत शरीर और मन को शुद्ध करने में मदद करता है। वैज्ञानिक रूप से यह दिन सौर और चंद्र ऊर्जा के संतुलन का होता है, जिससे ध्यान और साधना करने से मन को विशेष शांति मिलती है।

जय भोलेनाथ!

महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि शिव भक्ति का उत्सव है। आइए, इस पावन अवसर पर शिव जी की पूजा करें और उनसे शांति, समृद्धि और कल्याण की कामना करें।

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