राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा ने 14 जून 2025 को महामहिम राष्ट्रपति महोदया को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें देशभर में मुसलमानों के खिलाफ कथित अन्याय, बुलडोज़र कार्रवाई और वक्फ अधिनियम 2025 के संशोधन पर गहरी आपत्ति जताई गई है।
साम्प्रदायिक आधार पर मुसलमानों को निशाना बनाना
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि बीते एक दशक से केंद्र और राज्य सरकारें मुसलमानों को साम्प्रदायिक आधार पर निशाना बना रही हैं। फर्जी गौहत्या, तथाकथित ‘लव जिहाद’ के नाम पर हत्याएं, और यहां तक कि पुलिस हिरासत तथा ट्रेनों में भी मुसलमानों को जान से मारा जा रहा है।
मस्जिदों, मदरसों और बस्तियों पर बुलडोज़र कार्रवाई
राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा का आरोप है कि सरकारें कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर मस्जिदों, मदरसों, ईदगाहों, दुकानों, मकानों और बस्तियों पर बुलडोज़र चलवा रही हैं। यह कार्यवाही न केवल बिना नोटिस के हो रही है, बल्कि इसमें न्यायालय में विचाराधीन मामलों की भी अनदेखी की जा रही है।
न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर अमानवीय कार्रवाई
संगठन ने यह भी कहा कि कई मामलों में न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद तोड़फोड़ और विस्थापन किया गया है, जो न केवल असंवैधानिक है, बल्कि मानवीय मूल्यों के भी खिलाफ है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: संविधान के खिलाफ
ज्ञापन में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं के संचालन की स्वतंत्रता) का उल्लंघन बताया गया है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को नियंत्रण में लेने की कोशिश है, जिससे मुसलमानों की धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता खतरे में पड़ जाएगी।
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर संकट
राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा ने चेताया है कि यदि इस प्रकार के कानून और कार्रवाई जारी रही, तो यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को गहरी चोट पहुंचाएगा। संगठन ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह इस पर तत्काल संज्ञान लें और संविधान की रक्षा सुनिश्चित करें।
संगठन की मांगें
- वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल रद्द किया जाए।
- सभी प्रकार की बिना नोटिस बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।
- मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्यायों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सज़ा मिले।
- सभी नागरिकों के जीवन, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की जाए।
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