10 अक्टूबर का दिन भारतीय राजनीति में ऐसे नेता की पुण्यतिथि के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी सादगी, संघर्ष और समर्पण से करोड़ों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गाँव में 22 नवम्बर, 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्ष, दृढ़ता और सेवा का प्रतीक रहा। शिक्षक से लेकर तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री तक का उनका सफर यह दिखाता है कि जनता की सेवा और समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता सुघर सिंह चाहते थे कि उनका बेटा पहलवान बने। अखाड़े में घंटों अभ्यास ने उन्हें न केवल शारीरिक शक्ति बल्कि मानसिक दृढ़ता, साहस और निडरता दी।
यही गुण उनके राजनीतिक जीवन में भी नजर आए। पहलवानी ने उन्हें चुनौतियों का सामना करने और जीवन भर धैर्य बनाए रखने की सीख दी। वर्ष 1967 में जसवंत नगर विधानसभा सीट से विधायक बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। उनका नजरिया हमेशा जनता के कल्याण पर केंद्रित रहा। उन्होंने दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारों और समानता के लिए आवाज उठाई। उनके लिए राजनीति केवल सत्ता हासिल करने का माध्यम नहीं थी, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और न्याय सुनिश्चित करने का माध्यम थी। 4 अक्टूबर, 1992 को उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी का उद्देश्य समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना था। पार्टी के माध्यम से उन्होंने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं लागू की गईं। उनके निर्णय जनता की भलाई, सामाजिक न्याय और विकास को ध्यान में रखते हुए लिए गए थे। वर्ष 1996 से 1998 तक भारत के रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने संवेदनशील और ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने शहीद सैनिकों के शवों को उनके घर सम्मानपूर्वक भेजने की प्रक्रिया सुनिश्चित की। इससे सैनिकों के परिवारों को सम्मान और राहत मिली। यह कदम उनकी संवेदनशीलता और जनता के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया। इस निर्णय ने यह भी दिखाया कि सत्ता का असली उपयोग केवल पद और प्रतिष्ठा के लिए नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव लाने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए होना चाहिए।
मुलायम सिंह यादव का जन्म सैफई गाँव में हुआ, जो उस समय एक पिछड़ा और उपेक्षित क्षेत्र था। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने गाँव और जिले के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि “जो अपने गाँव का, अपने जिले का विकास नहीं कर सकता, वह नेता किसी काम का नहीं।” सैफई के विकास के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज की स्थापना ने उच्च शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। इसके अलावा, चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, खेल कॉलेज और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम जैसी सुविधाओं ने सैफई को एक आदर्श गाँव के रूप में विकसित किया। इन पहलों ने गाँव की सामाजिक, शैक्षिक और खेल संबंधित स्थिति में उल्लेखनीय सुधार लाया। उनके विकास कार्यों की आलोचना भी हुई।
विपक्षी दलों ने इसे “परिवारवाद” और संसाधनों के असमान वितरण” का उदाहरण बताया। इसके बावजूद, मुलायम सिंह यादव ने अपने गाँव और जिले के विकास को व्यक्तिगत जिम्मेदारी माना और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनकी दूरदर्शिता और लगातार प्रयासों ने सैफई को आज आदर्श गाँव और उनके नेतृत्व का प्रतीक बना दिया। मुलायम सिंह यादव का जीवन यह सिखाता है कि कठिनाइयों का सामना धैर्य, साहस और दूरदर्शिता से किया जा सकता है। उनका पहलवानी का शौक, राजनीतिक संघर्ष और समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण यह दिखाता है
कि नेतृत्व केवल शक्ति और पद से नहीं, बल्कि सेवा, सम्मान और मानवता से मापा जाता है। उन्होंने हमेशा आम आदमी से जुड़ाव बनाए रखा। पत्रकारों, युवा नेताओं और नागरिकों के साथ उनके अच्छे संबंध उन्हें और अधिक लोकप्रिय बनाते थे। गाँव के बच्चों के साथ उनकी मित्रता और गाँव के विकास में उनकी व्यक्तिगत रुचि ने यह साबित किया कि नेतृत्व केवल आदेश देने या योजना बनाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव लाने तक फैला होता है। उन्होंने बच्चों के साथ खेल-कूद और बातचीत के जरिए उन्हें शिक्षा और पढ़ाई के महत्व के प्रति प्रेरित किया।
इसी दोस्ती और जुड़ाव ने गाँव के लोगों को भी सामाजिक विकास में सक्रिय किया। उनके नेतृत्व और संवेदनशील दृष्टिकोण ने सैफई को केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक रूप से भी विकसित गाँव बनाया।
मुलायम सिंह यादव का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और मेहनत ने यह दिखाया कि एक साधारण किसान पुत्र भी बड़े बदलाव लाने और समाज में स्थायी योगदान देने में सक्षम है। उनके प्रशासनिक सुधार, समाजवादी नीतियां और गाँव विकास की पहलें आज भी लोगों के लिए प्रेरक उदाहरण हैं।
इस पुण्यतिथि पर हम केवल एक नेता को नहीं, बल्कि उस इंसान को याद करते हैं जिसने मेहनत, साहस और दया से लाखों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनका जीवन यह सिखाता है कि सत्ता का असली उपयोग केवल पद और प्रतिष्ठा के लिए नहीं, बल्कि लोगों और समाज की भलाई के लिए होना चाहिए। उनके प्रयास, उनके संघर्ष, उनका संवेदनशील नेतृत्व और उनकी दूरदर्शिता हमेशा समाज में प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
✍️ अखिल कुमार यादव










