उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड में शुक्रवार देर रात लगी आग में 10 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। इस भयानक हादसे में 16 अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज जारी है। वार्ड में आग लगते ही वहां अफरातफरी का माहौल बन गया। माता-पिता अपनी गोद के नन्हे बच्चों को बचाने के लिए चीखते-चिल्लाते भागते नजर आए।
आग लगने का कारण और स्थिति
मौके पर पहुंची दमकल विभाग की टीम ने आग पर काबू पा लिया है। प्रारंभिक जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन इसे लेकर अभी जांच जारी है। घटना के समय वार्ड में 26 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 10 की मौके पर ही मौत हो गई।
माता-पिता की दर्दनाक दास्तान
घटना के बाद से मेडिकल कॉलेज परिसर में मातम का माहौल है। अपने बच्चों को खो चुके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। एक पिता ने रोते हुए कहा, “हम अपने बच्चे को बचाने के लिए सब जगह दौड़े, लेकिन उसे नहीं बचा सके।”
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सुरक्षा उपकरणों की कमी और आग से निपटने के इंतजामों की लापरवाही पर परिजनों ने कड़ा विरोध जताया। इस घटना पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने गहरा शोक व्यक्त किया और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
घायलों का इलाज जारी
घटना में घायल 16 बच्चों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में किया जा रहा है। इनमें से कुछ की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। सरकार ने घायलों के इलाज का खर्च उठाने और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान किया है।
व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा उपायों की स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसी जगह, जहां बच्चों को सबसे ज्यादा सुरक्षित होना चाहिए, वहां इस तरह की लापरवाही कैसे हो सकती है?
जनता की मांग
इस हादसे के बाद झांसी के लोगों में आक्रोश है। लोग दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करने की मांग कर रहे हैं।
यह घटना हर किसी के दिल को झकझोर देने वाली है। मासूम जिंदगियां खोने की इस त्रासदी के बाद यह जरूरी हो गया है कि ऐसी घटनाओं से सबक लिया जाए और भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।