लोक संगीत की दुनिया की एक महान हस्ती, पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया। छठ पर्व की पहली रात, मंगलवार को रात 9.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। एम्स द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, शारदा सिन्हा को रिफ्रैक्टरी शॉक के कारण सेप्टीसीमिया हो गया था, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ी और उनका निधन हुआ। सेप्टीसीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें पर्याप्त उपचार के बावजूद शरीर पर गंभीर आघात बना रहता है।
लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा पिछले सात वर्षों से मल्टीपल मायलोमा (ब्लड कैंसर) से पीड़ित थीं। 26 अक्टूबर को जब उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी, तब उन्हें एम्स के कैंसर सेंटर में भर्ती किया गया। हालत ज्यादा खराब होने के कारण, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया और बाद में उन्हें प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित किया गया। 4 नवंबर को उनकी हालत और बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके कुछ दिनों बाद, शारदा सिन्हा का निधन हो गया।
परिवार और प्रशंसकों के लिए सदमा
शारदा सिन्हा के निधन के बाद उनके बेटे अंशुमान ने एक भावुक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, “माँ को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है। अब माँ शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।” शारदा सिन्हा के पति बृज किशोर सिन्हा का हाल ही में निधन हुआ था, जिससे वह गहरे सदमे में थीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान से बात की और उन्हें संवेदनाएं प्रकट कीं। इस दौरान, पीएम मोदी ने एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास से भी बात की और शारदा सिन्हा की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। यह बातचीत उस वक्त हुई, जब शारदा सिन्हा वेंटिलेटर पर थीं और उन्होंने आंख की पुतली हिलाकर अपनी सहमति दी थी, जिससे यह जाहिर हुआ कि उन्हें पीएम मोदी की बातों का आभास हुआ।
भोजपुरी और मैथिली संगीत में अमूल्य योगदान
शारदा सिन्हा का योगदान भोजपुरी और मैथिली संगीत के क्षेत्र में अनमोल था। वह अक्सर छठ पूजा के अवसर पर अपनी प्रस्तुतियां देती थीं और उन्होंने कई सांस्कृतिक आयोजनों में भी हिस्सा लिया था। शारदा सिन्हा को एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भी पहचाना जाता था, खासकर जब उन्होंने मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के बिहार दौरे के दौरान मंच पर प्रस्तुति दी थी। उनके गायन करियर को न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी सराहा गया।
संगीत के क्षेत्र में किए गए कई सम्मान
शारदा सिन्हा का संगीत के प्रति समर्पण और योगदान को सम्मानित किया गया था। 1991 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया था और 2018 में उनकी गायन कला के लिए उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, शारदा सिन्हा को बिहार सरकार से भी कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
संगीत की शिक्षा और प्रशिक्षण
शारदा सिन्हा ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी की। इस दौरान उन्होंने संगीत के सिद्धांतों, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व का गहन अध्ययन किया। इसके अलावा, उन्होंने मगध महिला कॉलेज और प्रयाग संगीत समिति से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो उनके संगीत ज्ञान को और भी समृद्ध करने में सहायक रहे।
शारदा सिन्हा की विरासत
लोक संगीत को एक नई दिशा देने वाली शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके गीत और गायन की शैली हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगी। उनकी आवाज़ और संगीत ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और हमेशा लोक संगीत की दुनिया में उनका नाम अमर रहेगा।
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