बंदा बैरागी की 318वीं पुण्य तिथि के अवसर पर जिले भर के आर्य समाज मंदिरों में आर्य वीर दल और आर्य समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा यज्ञ कर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर आर्य वीर दल पूर्वी उत्तर प्रदेश के संरक्षक ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि महान योद्धा बंदा वीर बैरागी, जिन्होंने मुगलों से 91 लड़ाइयाँ लड़ीं और एक भी नहीं हारे, उन्होंने मुगलों द्वारा तहस-नहस की गई भारतीय संस्कृति को पुनः स्थापित करने का व्रत लिया और इसके लिए आजीवन संघर्ष करते रहे।
जब गुरु गोविंद सिंह के पुत्र वीरगति को प्राप्त हो चुके थे, तब इनकी भेंट गुरु गोविंद सिंह से हुई और इनका जीवन बदल गया। उन्होंने सन्यास छोड़कर देश के दुश्मनों से बदला लेने का संकल्प लिया और उन्होंने न केवल मुगलों बल्कि गद्दार देशवासियों को भी नहीं छोड़ा।
मुगल उनसे इतने आतंकित थे कि हर कीमत पर पकड़ना चाहते थे। अंततः एक किले में घेराबंदी कर उन्हें पकड़ लिया गया। यातना इस तरह दी गई कि उनके 740 सैनिकों को बारी-बारी से मौत दी गई।
इससे भी ज्यादा, उनके 10 साल के बेटे का कलेजा चीर कर मुगलों ने बंदा बैरागी के मुँह में ठूंस दिया और इस्लाम कबूल करने को कहा, लेकिन बंदा बैरागी ने मुसलमान बनने से इंकार कर दिया और अपनी संस्कृति के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
आज पूरा देश उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।
इस अवसर पर नई बाजार बस्ती में नितेश कुमार, कार्तिकेय, राधा, राधेश्याम आर्य, उपेंद्र, विश्वनाथ, दुर्गा, श्लोक निषाद, लालगंज में गिरिजाशंकर द्विवेदी, मुंडेरवां में चंद्रप्रकाश, गांधी नगर में हरिहर मुनि, और कलवारी में सूर्य प्रताप सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।