मैं अपने परिवार और भाई पर लगे कथित हत्या के आरोपों के बारे में समाज और मीडिया के सामने अपनी बात रखना चाहती हूं। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस रमेश सिंह का नाम इस मामले में लिया जा रहा है, उनके परिवार से हमारे वर्तमान में कोई आपराधिक विवाद नहीं थे। हमारे पिताजी ने रमेश सिंह के परिवार की हमेशा मदद की, यहाँ तक कि उनके ब्रह्मभोज के लिए आर्थिक सहयोग और व्यवस्थाओं में भी पूरा साथ दिया।
हाल ही में मैंने अखबारों में पढ़ा कि मृतक के भाई ने कहा, “देश तो आज़ाद हो गया, लेकिन रानीपुर आज़ाद नहीं हुआ।” इस बयान के संदर्भ में, मैं सबको बताना चाहती हूं कि अगर आप पहलवान सिंह के दौर की बात करेंगे, तो आपको समझ में आएगा कि उस समय इस परिवार का कितना दबदबा था। तब 50 से 60 बीघा जमीन गरीब किसानों से उनके बैलों के जरिये जबरन जुतवाई जाती थी। यहां तक कि जब कोई तांगा कलवारी से बस्ती सवारी लेकर आता, तो पहलवान सिंह उसे रोककर खुद सफर करते थे।
हमारे परिवार पर लगे इन झूठे आरोपों को रोकना और सच्चाई को सामने लाना बेहद जरूरी है।
अगर आप आपराधिक इतिहास की बात करें, तो पहलवान सिंह और शक्ति सिंह के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज रहे हैं। 1960-61 में, पहलवान सिंह ने अपने ही घर के हरवाह सबदुल की हत्या कर दी थी, और निर्दोष लोगों को इस मामले में फंसाया गया। 1960 में टिकोरी पांडे की बेरहमी से हत्या की गई, जिसमें पहलवान सिंह की संलिप्तता के कारण उन्हें 7 साल की सजा हुई थी। 1961 में रामबदन सिंह की हत्या के मामले में भी पहलवान सिंह पर 307 का मामला दर्ज हुआ, जिसमें उन्हें 5 साल की सजा मिली। 1970 में हीरा चौधरी की हत्या के मामले में मेरे पिताजी को झूठा फंसाने की कोशिश की गई थी।
शक्ति सिंह का भी आपराधिक इतिहास लंबा रहा है। वह बलात्कार के मामले में 376 का आरोपी था और उसे 7 साल की सजा हुई थी। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा रीता बहुगुणा जोशी ने भी हस्तक्षेप किया था। शक्ति सिंह को जिला बदर भी घोषित किया गया था। इसके अलावा, उसका भाई भी अपने ही पटिदार राजू सिंह की हत्या के आरोप में जेल की सजा काट रहा है।
हालांकि, हमारे परिवार की रमेश सिंह से कभी कोई दुश्मनी नहीं रही। जब रमेश सिंह बीडीसी का चुनाव लड़ना चाहते थे और विपक्ष द्वारा उन्हें चुनाव में भाग लेने से रोका जा रहा था, तब हमारे पिताजी ने उनकी मदद की। पिताजी ने उनके चुनाव प्रचार में भी योगदान दिया और बाद में डायरेक्टरी के चुनाव में भी उनका सहयोग किया। उस समय दोनों परिवारों के बीच कोई मनमुटाव नहीं था।
अब, हमें इस साजिश के तहत फंसाया जा रहा है, और मैं सिर्फ न्याय की उम्मीद करती हूं।
जब रमेश सिंह बीमार हुए, तो हमारे पिताजी और भाई ने उन्हें पीजीआई में इलाज करवाया। उनकी किडनी की बीमारी के चलते, हमने अपने घर से फिल्टर का पानी भी उनके लिए भेजा। पिताजी ने मृतक शक्ति सिंह के भाई की शादी करवाने में भी पूरा सहयोग दिया था।
हाल ही में गांव में शक्ति सिंह और उनके भाई विक्रम सिंह के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा था, जो अदालत में लंबित था। घटना से कुछ दिन पहले बंटवारे का फैसला आने वाला था, जिससे यह मामला आपसी रंजिश का परिणाम भी हो सकता है। शक्ति सिंह अक्सर मेरे भाई को धमकियां देता था और गाली-गलौज करता था, लेकिन हमने हमेशा शांति बनाए रखी, क्योंकि हमने उन्हें अपने परिवार का हिस्सा माना था।
मैं आप सभी के माध्यम से प्रशासन से निवेदन करती हूं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और हर पहलू पर ध्यान दिया जाए। मेरे परिवार और भाई को इस साजिश में फंसाने की कोशिश की जा रही है, जिसे रोकना आवश्यक है। हमारा एकमात्र उद्देश्य न्याय प्राप्त करना है, और हमें उम्मीद है कि प्रशासन सच्चाई उजागर करने के लिए उचित कदम उठाएगा।
यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि दो परिवारों के बीच के पुराने संबंधों और समाज में व्याप्त आपराधिक गतिविधियों का उदाहरण है। हम प्रशासन से आशा करते हैं कि सभी तथ्यों की निष्पक्ष जांच हो, ताकि निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके।