केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बहुप्रतीक्षित 16वीं जनगणना की तिथियों का ऐलान बुधवार को कर दिया। घोषणा के अनुसार अधिसूचना 16 जून 2025 को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी, जिसे एक मार्च 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, पहाड़ी राज्यों के बर्फीले इलाकों में इसे अक्तूबर 2026 में पूरा कर लिया जाएगा। इस बार जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराई जाएगी।
गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर यह घोषणा की। बयान में कहा गया है कि जनगणना के लिए संदर्भ तिथि एक मार्च 2027 होगी। यानी इस दिन जनगणना का कार्य पूरा हो जाएगा। देश की आबादी कितनी हो गई है, संभवतः यह भी एक मार्च को पता चल जाएगा। बाकी आंकड़े चरणबद्ध तरीके से बाद में आएंगे। सरकार ने कहा कि इस बार भी जनगणना के कार्य को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और लद्दाख के ऊंचे बर्फीले इलाकों में जनगणना का काम होगा क्योंकि फरवरी में वहां बर्फ जमी रहती है।
इन इलाकों के लिए जनगणना की संदर्भतिथि एक अक्तूबर 2026 होगी। अधिकारियों ने बताया कि जनगणना का दूसरा और अंतिम चरण फरवरी 2027 में शुरू होगा और एक मार्च 2027 (संदर्भ तिथि) को समाप्त होगा। दूसरी ओर, तत्काल स्पष्ट नहीं किया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की प्रक्रिया जनगणना के साथ की जाएगी या नहीं। सरकार 2020 में जनगणना के साथ ही एनपीआर की योजना बना रही थी, लेकिन कोविड –19 के कारण स्थगित कर दिया गया था।
जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार संदर्भ तिथियों के साथ जनगणना कराने की अधिसूचना संभवतः इसी वर्ष 16 जून, 2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। जनगणना का कार्य जनगणना अधिनियम, 1948 व जनगणना नियम 1990 के प्रावधानों के तहत की जाती है। दो चरणों में समाप्त होने वाली इन प्रक्रियाओं को पूरा करने में लगभग 30 लाख कार्मिक लगेंगे तथा 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की भी संभावना है। हालांकि, वित्तवर्ष 25-26 के बजट में जनगणना सर्वे के लिए महज 574.80 करोड़ का है प्रावधान।
पहली बार डिजिटल तरीका
16वीं जनगणना को पूरी तरीके से डिजिटल तरीके से करने की तैयारी की जा रही है। इससे समय और श्रमशक्ति कम लगेगी, आंकडे ज्यादा सटीक होंगे और जल्द प्राप्त हो सकेंगे। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें नागरिकों को स्वयं अपनी गिनती कराने का मौका मिलेगा।
कोरोना के कारण रुकी
जनगणना 2021 को भी दो चरणों में आयोजित करने का प्रस्ताव था। पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में किया जाना था। हालांकि, देशभर में कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण स्थगित करना पड़ा था।
ओबीसी की संख्या का पता चल सकेगा
जनगणना के दौरान अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के आंकड़े ही एकत्र किए जाते थे। थे पर इस बार अन्य पिछड़ा (ओबीसी) के आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। विपक्ष पिछले काफी समय से ओबीसी की गणना यानी जातीय गणना की मांग कर रहा था। इस पर केंद्र ने कुछ समय पूर्व अपनी मंजूरी दी थी।
33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे
जनगणना के दौरान सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े करीब 33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाने की संभावना है। हालांकि, सही स्थिति अधिसूचना जारी होने के बाद ही सामने आएगी।
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